Poetry on the prowl |
Poetry on the prowl |
वहीं घर की छत पर मै बैठकर सोचता हूं ये आसमान और ये जमीन ये क्यों हमेशा साथ रहते हैं क्यों कभी मेरा साथ नही छोड़ते हालांकि मै उनको ढक जरूर देता हूं ये सोचकर कि छुप जाऊंगा पर कहीं न कहीं से किसी न किसी रूप में ये मुझे ढूंढ़ ही लेते हैं कभी अकेला नहीं छोड़ते फिर मै क्यों अकेला महसूस करता हूं क्यों सोचता हूं कि सारी गलती मेरी ही है दुनिया भर में जो दुख हैं वो मेरी ही वजह से हैं ऐसा है तो नहीं मै मै तो सिर्फ एक नादान सा बालक हूं जो शरीर से बड़ा हो गया है वहीं शरीर, जो इसी आसमान और जमीन ने दिया मेरे मां और पिताजी बनकर आज उन्हीं का स्नेह है जो मुझे जीवंत रखता है मुझे याद दिलाता है कि मै अकेला नहीं हूं कभी अकेला नहीं था और ना ही कभी रहूंगा सोचता हूं कि बदल जाऊं कि जीवन सादगी में है अपनों से बात करने में है उनके साथ हंसने और लड़ने में है उनको समझने और समझाने में है पर है क्या? ये परिभाषाएं इंसान ने अपनी सहूलियत के लिए बनाई है और मै अपने चंचल में इनको बदलता रहता हूं बदलता रहता हूं ये सोचकर कि सब ठीक कर दूंगा और भूल जाता हूं कि सब ठीक ही तो है क्योंकि ये आसमान और ये जमीन आज भी मेरे साथ है मै जहां भी जाता हूं जो भी करता हूं उसी रूप में उसी रंग में ये ढल जाते हैं और मै वैसे ही बदल जाता हूं भूल जाता हूं कि मै रूप रंग तो बदल सकता हूं किन्तु वो बालक कैसे बदलूंगा जो ये आसमान और जमीन हमेशा अपने साथ रखते हैं #thoughts #family #rustic #wanderlust #fielddays #portrait #instagood #love #nature #travel #life
2 Comments
Rutu Prajapati
6/29/2020 11:55:35 pm
Very nice 👌
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Danish
5/3/2023 11:34:07 pm
Nice
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